
रावण के दादा का नाम महान ऋषि पुलस्त्य तथा दादी का नाम हविर्भुवा था | महान ऋषि पुलस्त्य ब्रह्मा जी के पुत्र थे | रावण के पिता का नाम विश्रवा तथा माता का नाम कैकसी था | रावण के नाना का नाम सुमाली तथा नानी का नाम केतुमती था | रावण के भाई का नाम कुम्भकर्ण,विभिषण,अहिरावण,खर,दूषण थे |
रावण के सौतेले भाई कुबेर (वैश्रवण) था | रावण के बहन का नाम शूर्पणखा था | रावण के पत्नी का नाम मंदोदरी तथा धन्यमालिनी था | उत्तर प्रदेश के जिला जालौन स्थित कालपी नाम के शहर में २१० फ़ीट ऊंची वर्ष 1875 में बनी "लंका मीनार" है इसके अंदर रावण के पूरे परिवार का चित्रण किया गया है जिसे मथुरा प्रसाद जो राम लीला में रावण का पात्र निभाते थे ने बनवाया था | रावण ने अपने भाइयो के साथ तपस्या गोकर्ण के पवित्र आश्रम में शुरू किया था | विश्रवा की वरवर्णिनी और कैकसी नामक दो पत्नियां थी। वरवर्णिनी से कुबेर को जन्म के बाद कैकसी से रावण पैदा हुए | रावण सहिंता के अनुसार वैरोचन नामक दैत्य की ब्रज ज्वाला नाम की दौहित्री थी | रावण ने उसे कुम्भकर्ण की पत्नी बनाया | गन्धर्वराज महात्मा शैलूष की कन्या "सरमा" जो धर्म को जानने वाली थी को विभीषण की पत्नी बनाया | मन्दोदरी के पुत्र मेघनाथ को जन्म दिया जिसको हम लोग इंद्रजीत के नाम से जानते है | मेघनाथ का नाम रावण ने रखा था |

वेदवती के पिता तेजस्वी ब्रह्मऋषि कुशध्वज थे | तेजस्वी ब्रह्मऋषि कुशध्वज प्रतिदिन वेदाभ्यास करते थे उन्ही की वाङ्मयी कन्या के रूप में वेदवती का जन्म हुआ | वेदवती के पिता श्री विष्णु भगवान से विवाह करवाना चाहते थे मगर जब वेदवती वयस्क हो गयी तो गन्धर्व,देवता,यक्ष,नाग,दानव इन सभी ने वरण करने के लक्ष्य से मेरे पिता जी जाकर मेरा हाथ मांगा | पिता जी ने मुझे उनमे से सौपा | क्योकि वेदवती का विवाह श्री विष्णु जी से चाहते थे उनकी इस इच्छा को जानकर अपने बल के घमण्ड में चूर शम्भु नामक दैत्य ने क्रोध में आकर रात्रि में सोते समय पिता हत्या कर दी | वेदवती ने रावण से बोली तुम्हारी तरह राक्षस के अलावा कोई और बुद्धिमान विष्णु की अवहेलना नहीं कर सकता | यह सुनते ही राक्षसराज रावण ने वेदवती के केश अपने हाथो से पकड़ लिया वेदवती क्रोधित होकर अपने हाथो से उन केशो को काट दिया | वह क्रोध के कारण स्वयं जलती हुई तथा रावण को ,जलती हुई जलकर मरने के लिए तैयार हो गयी | अत: मै तुम्हारा वध करने के लिए दोबारा जन्म लूगी | त्रेतायुग में रावण का वध करने के लिए मैथिल कुल में उत्पन्न महात्मा जनक के घर में जन्म हुआ |
नोट:- यह बाते हमें रावण सहिंता पढ़ने से प्राप्त हुई है आगे की जानकारी अगले ब्लॉग में धन्यवाद
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