ज्यादातर लोगों को लगता है कि भारतीय करेंसी को छापना महंगा होता होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एडवांस्ड सिक्योरिटी फीचर्स वाले नोट छापता है. लेकिन उसके बावजूद भी हर नोट की असली प्रोडक्शन कॉस्ट उसकी फेस वैल्यू का सिर्फ छोटा सा हिस्सा होती है. आइए जानते हैं कि हर भारतीय नोट को छापने में कितना खर्चा आता है.
आरबीआई ₹10 का नोट छापने के लिए ₹0.96, ₹20 के नोट के लिए ₹0.95, ₹50 का नोट छापने के लिए ₹1.13, ₹100 के नोट को छापने के लिए ₹1.77, ₹200 के नोट के लिए ₹2.37 और ₹500 के नोट के लिए ₹2.29 खर्च करता है.
लागत कम रहती है क्योंकि भारत काफी कच्चा माल देश में ही बनता है. इसमें खास करेंसी पेपर और सिक्योरिटी इंक शामिल है. बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन से हर नोट पर खर्च और भी कम हो जाता है.
ज्यादा एडवांस्ड फीचर वाले नोट जैसे कि रंग बदलने वाले धागे, वाटर मार्क, सिक्योरिटी फाइबर, टैक्टाइल मार्क और माइक्रो प्रिंटिंग ज्यादा महंगे होते हैं. यही वजह है कि ₹100, ₹200 और ₹500 के नोटों के लिए ज्यादा प्रोडक्शन बजट की जरूरत होती है.
₹500 के नोट को छापने में सिर्फ ₹2.29 लगते हैं. इसका मतलब हुआ कि यह अपनी लागत का 218 गुना फेस वैल्यू देता है. इसी वजह से यह सरकुलेशन में सबसे ज्यादा लागत कुशल नोट बन जाता है.
₹10 और ₹20 जैसे कम वैल्यू वाले नोट ज्यादा बार सर्कुलेट होते हैं और जल्दी खराब हो जाते हैं. बड़ी वैल्यू वाले नोट ज्यादा समय तक चलते हैं जिस वजह से लंबे समय में बदलने का खर्च कम होता है.
प्रिंटिंग कॉस्ट से रुपए की असली वैल्यू तय नहीं होती. यह वैल्यू महंगाई, जीडीपी की मजबूती, मॉनेटरी पॉलिसी और नेशनल रिजर्व जैसे आर्थिक फैक्टर द्वारा तय की जाती है.

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