छिपकली की पूँछ कटने के बाद फिर से कैसे उग जाती हैं?

छिपकली की पूँछ का वापिस उगना कोई चमत्कार नहीं होता है बल्कि पुनरुद्भवन की प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में जीवों के कटे हुए अंग वापिस उग जाते हैं और ऐसा सिर्फ छिपकली की पूँछ के साथ ही नहीं होता है बल्कि ऑक्टोपस, तारा मछली और फ्लैटवर्म जैसे जीवों में भी ये प्रक्रिया पायी जाती है। स्टारफिश की कोई भुजा कट जाने पर वापिस आ जाती है और फ्लैटवर्म एक ही कोशिका से अपने शरीर को फिर से तैयार कर पाने की क्षमता रखता है।
आइये, अब जानते हैं कि पुनरुद्भवन की इस प्रक्रिया में क्या होता है – छिपकली जैसे जीवों में, शरीर पर चोट लगने पर खून बहने के स्थान पर रक्त का थक्का बन जाता है और उसके बाद बहुत जल्द घाव ठीक भी हो जाता है। ऐसा होने से कोशिकाओं में कोई इन्फेक्शन नहीं होता। ब्लड क्लॉट (रक्त का थक्का) के नीचे स्थित एपिथेलियल कोशिकाएं घाव के चारों तरफ जमा हो जाती हैं जिससे घाव ठीक हो जाता है और घाव वाली जगह पर एक उभार बन जाता है। ये उभार पुनरुद्भवन कोशिकाओं के कारण होता है जो सक्रिय अविभेदित मीजेनकाईम कोशिकाएं होती हैं। ये सेल्स धीरे-धीरे उस कटे हुए अंग का निर्माण करने लगती है और इस पूरी प्रक्रिया में रिजनरेशन सेल्स से पूरा अंग बनने में लगभग 10 सप्ताह का समय लगता है और इस तरह छिपकली की कटी हुयी या क्षतिग्रस्त हुयी पूँछ भी वापिस आ जाती है।
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हमारे शरीर में भले ही खोया हुआ अंग वापिस बनाने की क्षमता नहीं होती है लेकिन फिर भी शरीर की कुछ कोशिकाओं में रिजनरेशन की क्षमता होती है जैसे बाल, नाखून और लीवर की कोशिका।
छिपकली में कटे अंग दोबारा बनने की इस प्रक्रिया को जानने के बाद वैज्ञानिकों ने इस पर खोज करना शुरू कर दिया ताकि इंसानों में भी इस तरह की प्रक्रिया से अंग पुनःनिर्माण संभव हो सके और इन शोधों से ये पता चला है कि छिपकली की शारीरिक संरचना मानव की संरचना से सबसे ज्यादा मिलती है। ऐसे में छिपकली में रिजनरेशन करने वाले जीनों का पता लगाकर मानव शरीर के कई रोगों को ठीक किया जा सकेगा जैसे रीढ़ की हड्डी की चोट, गठिया और जन्म संबंधी विकृतियाँ।
दोस्तों, अब आप जान चुके हैं कि छिपकली की कटी हुयी पूँछ का वापिस उगना रिजनरेशन यानि पुनरुद्भवन की प्रक्रिया के कारण होता है। उम्मीद है कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
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