आरबीआई ने 100 रुपये का नया नोट जारी कर दिया है। नए नोट का रंग लैवेंडर है। बाताजा जा रहा है कि बाजार में ये नोट अगले महीने तक आ सकता है। लेकिन एक विशेष बात जिसे लेकर इन दिनों इस नोट की खासी चर्चा हो रही है, वो है नोट के पीछे बना एक चित्र।
गुजरात राज्य के पाटन जिले में स्थित एक ऐतिहासिक जगह है ‘रानी की वाव’, जो अब 100 रुपये के नोट पर नजर आएगी। लेकिन कम ही लोग इस जगह के वैभवशाली इतिहास के बारे में जानते हैं।

सरस्वती नदी के तट पर बसी इस ऐतिहासिक जगह को साल 2014 में यूनेस्को ने विश्व विरासत की सूची में शामिल किया था। गुजरात में स्थित इस बावड़ी को सभी बावड़ियों की रानी के खिताब से नवाजा जा चुका है।
10वीं सदी में बनी ये बावड़ी सोलंकी सामराज्य के वैभवशाली इतिहास को दर्शाती है। इस बावड़ी की लंबाई 64 मीटर, चौड़ाई 20 मीटर, और गहराई 27 मीटर है।
इस बावड़ी का निर्माण रानी उदयामती ने करवाया था। गुजराती भाषा में बावड़ी को वाव कहते हैं। इसलिए इसे ‘रानी की वाव’ के नाम से जाना जाता है। इस बावड़ी की दीवारों पर बहुत सी प्राचीन कलाकृतियां बनी हुई हैं, जिसमें कई कलाकृतियां भगवान विष्णु से संबंधित है। ये मूर्तियां भगवान विष्णु के दशावतर को दर्शाती हैं। बावड़ी की दीवारों पर बने चित्र इस बात का प्रमाण है कि उस वक्त धर्म और कला का हमारे समाज में कितना महत्व रहा होगा।
साल 2001 में इस बावड़ी से 11वीं और 12वीं शताब्दी में बनी दो मूर्तियां चोरी कर ली गईं थी। कहा जाता है कि सरस्वती नदी के विलुप्त होने के बाद यह बावड़ी उसकी गाद से भर गई थी। इसके बाद सदियों तक ये जमीन के अंदर ही दबी रही। भारतीय पुरातत्व विभाग ने वर्षों पहले इस बावड़ी की खोज की थी।
0 टिप्पणियाँ