एक तकनीक जिसे मोदी और ओबामा अपने भाषण में इस्तेमाल करते हैं - A technique that Modi and Obama use in their speech ?

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ये हम सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदी में भाषण देना पसंद करते हैं चाहे वो लोकसभा चुनाव की रैलियाँ हों या फिर अलग-अलग राज्यों में चुनाव से सम्बंधित भाषण. परन्तु भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी ने अमेरिकी कांग्रेस में भाषण तकरीबन 45 मिनट्स तक अंग्रेजी भाषा में दिया था. ऐसा आखिर उन्होंने किस तकनीक के माध्यम से किया था.
हम सब इस बात से भलीभांति वाकिफ हैं कि मोदी जी हिन्दी भाषा में बहुत अच्छा बोलते हैं, लेकिन एक बार गुजरात में उन्होंने अंग्रेजी भाषा में 11 पन्ने का भाषण दिया था, जो इस तकनीक के कारण ही संभव हो पाया था.
                      In Gujarat Modi use Teleprompter
PSLV के लांच के वक्त भी मोदी जी इसी तकनीक की मदद से अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओं में इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी थी. इसके अलावा कई देशों में भी उन्होंने इस अद्भुत तकनीक का इस्तेमाल कर लंबी-लंबी भाषणें दी है.इस तकनीक का इस्तेमाल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी अपने भाषण के दौरान करते थे
आखिर इस तकनीक को क्या कहते हैं 
इस तकनीक को टैलिप्रोम्प्टर कहते हैं. इसे आमतौर पर एक प्रोम्प्टर या ऑटोक्यू भी कहा जाता है. यह एक ऐसा उपकरण है जो किसी वक्ता को दर्शकों के साथ आँखों का संपर्क बनाए रखते हुए स्क्रिप्ट पढ़ने की अनुमति देता है. इससे वक्ता को कागज़ पर नोट्स बनाने की आवश्यकता नहीं होती है और जब वह भाषण देता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि वह भाषण याद करके आया हुआ है और अच्छे से बिना रुके बोल रहा है.

टैलिप्रोम्प्टर का उपयोग परंपरागत रूप से दो मुख्य कार्यों के लिए किया जाता है - टीवी प्रस्तुतकर्ता कैमरे में देखते हुए स्क्रिप्ट पढ़ते समय इस तकनीक का उपयोग करते हैं, इसके अलावा राजनेता और सार्वजनिक सभाओं में बोलने वाले हाल के दिनों में, टैलिप्रोम्प्टर का इस्तेमाल पटकथा वाले वीडियो के निर्माण में, पावरपॉइंट प्रस्तुतियों में एवं मंच पर गायकों द्वारा अपनी लाइनों को याद रखने में भी किया जाने लगा है.
टैलिप्रोम्प्टर किस प्रकार से काम करता है
टैलिप्रोम्प्टर में आमतौर पर दो दर्पण होते हैं जो अर्ध-पारदर्शी होते हैं, प्रत्येक दर्पण को 45 डिग्री कोण पर एक छोटे एवं पतले स्टैंड पर रखा जाता है. वक्ता को पढ़ने में सुविधा हो इसके लिए टेक्स्ट को मॉनिटर की मदद से दर्पण पर दिखाया जाता है.
दर्पण के निचले हिस्से पर एक फ्लैट एलसीडी मॉनिटर होता है, जिसे छत की ओर मुंह करके रखा जाता है. यह मॉनिटर आम तौर पर 56 पीटी से 72 पीटी, फ़ॉन्ट में भाषण के शब्दों को प्रदर्शित करता है. आम तौर पर एक ऑपरेटर वक्ता की गति को नियंत्रित करता है, जो वक्ता की बातों को सुनता है और उसी के अनुसार मॉनिटर को नियंत्रित करता है.
अगर वक्ता बोलते समय किसी शब्द को भूल जाता है या फिर किसी वाक्य का मतलब गलत हो जाता है तो उसको वापस से अपने वाक्य या शब्द को सही करने का मौका भी यह डिवाइस देता है. यहां तक कि जब वक्ता अपने भाषण के दौरान दर्शकों की ओर या फिर कैमरा की ओर देखता है तो डिस्प्ले स्क्रीन पर स्थित एक क्यू-मार्कर स्क्रिप्ट की वर्तमान स्थिति का एक त्वरित संकेत देता है और बताता है कि स्क्रिप्ट को बोलते वक्त कहांपर छोड़ा गया था.
Mirror reflection of teleprompter
इस प्रकार वक्ता आसानी से दर्पण की मदद से अपना भाषण पढ़ पाता हैं, जबकि दर्शकों को यह दर्पण शीशे का एक टुकड़ा जैसा दिखता है क्योंकि उस दर्पण पर अपारदर्शी पदार्थ का कोटिंग होता है. अपने भाषण के दौरान, वक्ता बस एक टैलिप्रोम्प्टर से दूसरे में देखता है और ऐसा लगता है कि वह भाषण देते समय दर्शकों को देख रहा हैं.
उपरोक्त लेख से यह जानकारी प्राप्त होती है कि टैलीप्रोम्प्टर तकनीक क्या होती है, यह कैसे काम करती है और कैसे बड़े नेता भाषण देने में इसका इस्तेमाल करते है.
Who invented teleprompter technique

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