मनुष्य की आंख एक गोल बॉल जो मनुष्य के आस पास और किसी भी तरह के इंफॉर्मेशन को कलेक्ट करने के लिए मनुष्य का सबसे इंपोर्टेंट ऑर्गन यानी सबसे महत्वपूर्ण ज्ञानेंद्रिय.
अब अगर आपसे पूछा जाए कि आपके आंख की क्षमता कितनी है ? आप कितने दूर के चीजों को देख सकते हो? तो शायद आप किसी ऊंची जगह पर जाकर दूर से दूर देखने का प्रयास करोगे.लेकिन जब आप दूर देखने का प्रयास करोगे तो आप ध्यान दोगे कि आप सरफेस पर लगभग 5 किलोमीटर से ज्यादा दूर की चीजों को नहीं देख पा रहे होगे.वह इसलिए क्योंकि लगभग 5 किलोमीटर के बाद पृथ्वी का Surface Curved (सतह घुमावदार) हो जाता है और उसके आगे की चीजें हम नहीं देख पाते हैं. वहीं जब आप ऊपर आसमान की तरफ देखते हो तो आप अरबों किलोमीटर के दूर के तारों को भी देख पाते हो.
कैसे देखती हैं आँख किसी चीज़ को (Human Eye in hindi)
हमारी आंखें किसी चीज को तब ही देख पाती हैं जब उस चीज से लाइट की किरणें टकराकर या Emit(फेंकना) होकर हमारी आंखों पर पड़ती है. अब जैसे मान लो कोई तारा हमारे पृथ्वी से 1 प्रकाश वर्ष दूर है.अब उस तारे से निकलने वाले photons यानी लाइट की किरणें जो 1 साल पहले निकले हुए होंगे वह आज जाकर हम देख पाएंगे यानी एक साल पहले उस तारे की स्थिति को हम आज ऑब्जर्व कर पाएंगे.क्योंकि लाइट को ट्रैवल कर हमारे आंख तक पहुंचने में समय लगता है पास की चीजों की लाइट को ट्रैवल कर हमारी आँखों तक पहुचने में कम समय लगता है और दूर की चीजों की लाइट को ट्रैवल कर हमारी आंखों तक पहुंचने में काफी समय लगता है. एक प्रकाश वर्ष का मतलब है प्रकाश जो दूरी 1 साल में तय करती है.
एण्ड्रोमेडा आकाशगंगा का प्रकाशमान चित्र
बिना किसी इक्पविपमेंट के नंगी आंखों से मनुष्य जो सबसे दूर की चीज देख पाया है वह है हमारी पड़ोस की एंड्रोमेडा गैलेक्सी. जो कि हमारे पृथ्वी से 26 लाख प्रकाश वर्ष दूर है यानी हमारी आंखें काफी दूर तक की चीजों को देख पाती हैं.
क्या हैं ज़रूरी कारक किसी चीज़ को देखने के लिए
कई पास की चीजें जो 100,200 मीटर की दूरी पर भी रखी होंगी, वह भी आप नहीं देख पा रहे होंगे.इसका कारण भी चलिए जान लेते हैं. वैज्ञानिकों ने इस बात पर रिसर्च किया कि मनुष्य को किसी चीज को देखने के लिए कम से कम क्या वह चीजें आवश्यक है जिसके होने पर मनुष्य किसी चीज को देख पाता है
वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च कर बताया कि जब कोई वस्तु मनुष्य की आंख पर कम से कम एक आर्कमिनट या 1/60th डिग्री का कोण बनाता है और उस वस्तु से निकलने वाली कम से कम 8 से 15 फोटोन्स हमारे आंख के रेटिना पर जाकर टकराती है तब हम उसको देख पाते हैं किसी भी चीज को देखने के लिए यह जरूरी है कि हमारी आंखों में मौजूद कोन सेल (cone cell) किसी भी वस्तु से आने वाली 10 से 15 फोटोन्स को अब्सोर्ब करें.कोन सेल हमें रंगों को देखने में मदद करता है. अब कोई वस्तु हमारे आंख पर कम से कम एक आर्कमिनट का कोण बनाएं और उसके 8 से 10 फोटोन्स हमारे आंखों पर पड़े तो हमें वो वस्तु दिखेगी ही दिखेगी फिर वह चाहे कितनी ही दूर क्यों ना हो.
कितना लिमिट हैं फील्ड व्यू का
पूर्णिमा का चांद हमारे आँख पर 31 आर्कमिनट का कोण बनाता है इसीलिए पूर्णिमा का चांद हमें अच्छे से दिखाई देता है. अगर कोई मनुष्य सीधा खड़ा होकर सामने देखने का प्रयास करें तो वह 210 डिग्री के फील्ड व्यू को आराम से देख सकता है यानी उसके सामने के सीन में 210 डिग्री के कोण में जो भी वस्तु होगा या जो भी स्थान होगा वह उसे देख पाएगा और यह मनुष्य के फील्डव्यू का मैक्सिमम लिमिट होता है वर्टिकली ह्यूमन आई 150 डिग्री के फील्ड व्यू को देख सकता है.
एक व्यक्ति ने निकला आँख Resolution पर स्वीकारनीय नहीं
इसी आधार पर एक व्यक्ति जिसका नाम Roger N Clark हैं, उसने मनुष्य के आंख का अप्रॉक्सिमेट Resolution भी निकाला जिसके अनुसार मनुष्य की आंख 576 मेगापिक्सल की है परंतु बुद्धिजीवियों के अनुसार यह प्रश्न तार्किक नहीं है कि मनुष्य की आंख कितने मेगापिक्सल की है क्योंकि मनुष्य की आंख लगातार मूवमेंट करती ही रहती है और इमेजेस की जगह वीडियो की तरह चीज़ों को देखती है अगर हम हमारी आंख किसी चीज को स्थिर होकर देखती भी है तो हम उस चीज को या उस फील्डव्यू को 7 मेगापिक्सल के जितना पैक्ड कर देख पाते हैं.
0 टिप्पणियाँ