हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा क्या है और भारत में इसका उत्पादन क्यों किया जाता है?

                                       What is Hydroxychloroquine drug
                               रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि,
                                     जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि!
एक समय था जब, ब्रिटेन, अमेरिका, इटली और अन्य देशों की सरकारें भारत के आमों के निर्यात को यह कहकर लौटा देते थे कि इनमें पेस्टिसाइड का इस्तेमाल हुआ है, कीड़े है लिहाजा हम इन आमों का आयात नहीं करेंगे. इस समय भारत 'सुई' और विकसित देश 'तलवार' हुआ करते थे.
लेकिन अब वक्त बदला है और विश्व के विकसित देश; अमेरिका, इटली, स्पेन, और ब्रिटेन जैसे संपन्न देश कोविड 19 से लड़ाई के लिए भारत की ओर आशाभरी नजरों से देख रहे हैं कि काश! भारत उन्हें भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन (Hydroxychloroquine) दवा निर्यात कर दे ताकि वे देश भी कोविड 19 से लड़ाई लड़ सकें. लेकिन भारत ने इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी है.
दरअसल, कोरोना वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है और इसकी कोई सही दवा उपलब्ध नहीं है इसलिए विभिन्न दवाओं के उपयोग करके हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन की मदद से काफी लोगों का सफल इलाज किया जा चुका है. इस कारण इस दवा की वैश्विक मांग अचानक बढ़ चुकी है.
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन (Hydroxychloroquine) दवा क्या है?
दरअसल, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में बेहद कारगर दवा है. रिसर्च में सामने आया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाई; कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार है. हालाँकि यह अकेले कोरोना को ठीक करने में कारगर नहीं है लेकिन अन्य दवाओं के साथ मिलाकर इससे बहुत से अच्छे रिजल्ट आये हैं. इस बात को अमेरिकी डॉक्टर्स ने भी माना है. 
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से तुरंत मंजूरी के बाद, कुछ अन्य दवाओं के संयोजन के साथ मलेरिया की दवा (हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन) से लगभग 1500 रोगियों का न्यूयॉर्क में उपचार किया जा रहा है और परिणाम अच्छे आ रहे हैं.
यही कारण है कि ट्रम्प ने खुद 5 अप्रैल 2020 को भारत के प्रधानमन्त्री मोदी से बात करके इस दवा के निर्यात पर लगी रोक हटाने का फैसला किया है और अमेरिका को इसका निर्यात करने की अपील की है.  
भारत में यह दवा इतनी बड़ी मात्रा में क्यों उपलब्ध है?
दरअसल, भारत में मलेरिया से लाखों लोग हर वर्ष प्रभावित होते हैं. इस कारण यहाँ पर हर वर्ष बड़ी मात्रा में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन दवा का उत्पादन होता है. ये दवाई दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में ही बनाई जाती है. अब चूंकि मलेरिया फैला नहीं है और परीक्षण में इस दवा के कॉम्बिनेशन से कोरोना से लड़ने के लिए एक अच्छी दवाई बनाई जा रही है. इस कारण विश्व में इसकी मांग बढ़ गयी है.
दवा निर्यात पर भारत का फैसला:-
चूंकि कोरोना के मरीज भारत में भी तेजी से बढ़ रहे हैं इस कारण, सरकार ने इस दवा के निर्यात पर पिछले महीने ही रोक लगा दी थी. लेकिन भारत को अपने पडोसी देशों,नेपाल और श्रीलंका के अलावा विकसित देशों में अमेरिका, इटली, ब्रिटेन इत्यादि देशों से इसके निर्यात के आर्डर मिल रहे हैं. लेकिन भारत सरकार अपने नागरिकों की रक्षा से समझौता नहीं करेगी.
अमेरिका की भारत को धमकी:
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि पीएम मोदी के साथ उनकी बातचीत सार्थक रही और मोदी जी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत उनकी रिक्वेस्ट पर विचार करेगा. लेकिन भारत के निर्णय में देर होने पर अमेरिका ने धमकी दी है कि यदि भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन दवा के निर्यात से प्रतिबन्ध नहीं हटाया तो अमेरिका भी बदले में ऐसी ही कार्रवाई करेगा.
                       TRUMP-TWEET-hydroxychloroquine
ध्यान रहे कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 88 अरब डॉलर का है जिसमें भारत का व्यापार सरप्लस 15 अरब डॉलर का है. ऐसा हो सकता है कि अमेरिका, भारत के निर्यात पर कुछ ड्यूटी बढ़ा दे.
वर्तमान में देशव्यापी लॉकडाउन के कारण भारत में इस दवा को बनाने के लिए कच्चे माल की कमी हो रही है इस कारण उत्पादन भी कम हुआ है. अतः भारतीय दवा निर्माता कंपनियों ने सरकार से इस दवा के लिए कच्चे माल को एयरलिफ्ट कर मंगाने की मांग की है ताकि जरूरत के हिसाब से इस दवा का उत्पादन किया जा सके और भारत की विदेश नीति को भी मजबूत किया जा सके.

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