
मार्च के आख़िरी दिनों में कोपरनिकस एटमॉस्फ़ेयर मॉनिटरिंग सर्विस के वैज्ञानिकों ने आर्कटिक क्षेत्र के ऊपर एक बड़ी खाली जगह देखी. अब तक उन्हें वायुमंडल में इतनी बड़ी फांक नहीं दिखी थी.
जल्दी ही यह एक बड़े छेद में तब्दील हो गई. उत्तरी गोलार्द्ध में इतने बड़े छेद से उनका सामना अब तक नहीं हुआ था. इसका आकार ग्रीनलैंड के बराबर था और इससे पोलर आइसकैप की सतह फैल गई थी |
23 अप्रैल को एक अच्छी ख़बर आई. सीएएमएस ने ट्वीट कर जानकारी दी कि इस साल यानी 2020 के मार्च में उत्तरी गोलार्ध में ओज़ोनपरत में जो अभूतपूर्व छेद दिखा था वह बंद हो गया है |

ओज़ोन इतनी अहम क्यों है?
दरअसल, ओज़ोन परत पृथ्वी को सूरज की हानिकारक किरणों से ज़रूरी सुरक्षा मुहैया कराती है. पृथ्वी की ज़्यादातर ओज़ोन इसके वातावरण (वायुमंडल) के ऊपरी स्तर यानी समताप मंडल में मौजूद होती है |
ज़मीन से 10-40 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद ओज़ोनपरत पृथ्वी को अल्ट्रावायलेट विकिरण से बचाने में काफ़ी मददगार है इस रक्षा कवच में किसी भी छेद से बर्फ़ के पिघलने की गति काफ़ी बढ़ सकती है और यह जीवधारियों के प्रतिरोधक प्रणाली को प्रभावित कर सकती है. इससे मनुष्यों को स्किन कैंसर या रतौंधी जैसी बीमारियां हो सकती है.
सीएएमएस के मुताबिक़ हालांकि आर्कटिक क्षेत्र के वायुमंडल के ऊपर ओज़ोनपरत पर छोटे छेद मिले चुके हैं. लेकिन यह पहली बार था जब ओज़ोन परत में इतना बड़ा छेद दिख रहा था और यह चिंता का विषय बन गया था |

छेद दिखा और फिर ग़ायब कैसे हो गया?
सीएएमएस ने कहा कि लगातार बढ़ता हुआ छेद आकर्टिक के ऊपर असामान्य मौसम का नतीजा था. जब तेज हवाएं बर्फीली चोटियों के ऊपर की जमा देने वाली हवाओं में लगातार कई दिनों तक फंसती रहती हैं तो वैज्ञानिकों की शब्दावली में एक 'पोलर वोर्टेक्स' बनाती हैं |
यह मज़बूत दबाव अपने ही चारों ओर घूमती है. इससे इतनी ताक़त पैदा होती है कि वह समताप मंडल की ओज़ोन में छेद कर डालती है. हालांकि अब यह छेद बंद हो गया है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम इसके अनुकूल हुआ तो यह फिर खुल सकता है |
सीएएमएस ने एक ट्वीट कर कहा कि आर्कटिक के ऊपर ओज़ोन परत में हुए इस बड़े छेद का कोरोनावायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से कोई संबंध नहीं है. यह तो बेहद मज़बूत और असाधारण हवा और लंबे वक्त से बने पोलर वोर्टेक्स की वजह से हुआ था |
ट्वीट में कहा गया था कि ओज़ोन परत में हुआ यह बड़ा छेद ओज़ोन में आ रही बड़ी गिरावट जैसी बड़ी समस्या का एक लक्षण है. यह बंद हुआ था सिर्फ़ वार्षिक चक्र की वजह से. यह स्थायी इलाज नहीं है. लेकिन उम्मीद बनी हुई है. ओज़ोन परत में सुधार आ रहा है लेकिन धीरे-धीरे |

अंटाकर्टिका के ऊपर छेद अभी भी बरकरार है
उत्तरी ध्रुव के ऊपर ओज़ोन में छेद एक दुर्लभ घटना है लेकिन अंटाकर्टिका के ऊपर पिछले 35 साल से हर साल इससे भी बड़ा छेद बार-बार पैदा हो जाता है. हालांकि इसका आकार हर साल घटता बढ़ता रहता है. लेकिन निकट भविष्य में तो बंद होता नहीं दिखता |
1996 में क्लोरोफ्लोरोकार्बन का इस्तेमाल बंद हो गया था. तब से इसमें थोड़ा-थोड़ा सुधार दिखा है. क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसे केमिकल का इस्तेमाल एयरोसोल स्प्रे, फ़ोम, सॉल्वेंट और रेफ्रिजरेंट्स बनाने में होता है |
वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल्स ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएमओ) का कहना है कि अंटाकर्टिका के ऊपर ओज़ोन का छेद 2000 से अब तक एक से तीन फ़ीसदी तक छोटा हो चुका है |
हालांकि 2019 में अंटाकर्टिका में सबसे छोटा छेद रिकॉर्ड किया गया था. लेकिन(डब्ल्यूएमओ) का कहना है कि अंटाकर्टिका की ओज़ोन परत की छेद को भरने के लिए कम से कम 2050 तक इंतजार करना होगा |
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