देश भर के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण (Corona infection) के तेजी से बढ़ते रहने से हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं. इसकी वजह से देश में पिछले कुछ दिनों से संक्रमणों की संख्या में आए उछाल कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं ऐसे में आरटी पीसीआर टेस्ट (RT PCR Test) करने वाले सिस्टम पर बहुत दबाव पड़ रहा है. हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) से यह निवेदन किया था कि जो आरटी पीसीआर टेस्ट में साइकल थ्रेशहोल्ड यानी सीटी वैल्यू (Ct Value) का कट ऑफ 35 निर्धारित किया हुआ है उस सीमा को घटा कर 24 कर दिया जाए. इस निवेदन को आईसीएमआर ने खारिज कर दिया था.
क्या दिए गए तर्क
राज्य सरकार का तर्क था कि वैल्यू सीमा घटाने से पॉजिटिव मरीजों की संख्या में कमी आएगी. वहीं आईसीएमआर का कहना है कि सीटी कट ऑफ वैल्यू को कम करने में भ्रम की स्थिति हो सकती है और बहुत सारे मरीज छूट भी सकते हैं. इस घटनाक्रम से लोगों में यह जानने की जिज्ञासा बढ़ी है कि आखिर आरटी पीसीआर टेस्ट में साइकल थ्रेशहोल्ड यानी सीटी वैल्यू है क्या
तो क्या है सीटी वैल्यू
आरटी पीसीआर टेस्ट में सीटी वैल्यू मरीज में वायरल लोड को दर्शाती है. इससे ही फैसला होता है कि मरीज को कोविड-19 संक्रमित माना जाए या नहीं. आरटीपीसीआर टेस्ट में जब सीटी वैल्यू कम होती है, तो उसका मतलब मरीज की स्थिति ज्यादा गंभीर है. कोई मरीज कोविड-19 से संक्रमित नहीं माना जाता है यदि उसकी सीटी वैल्यू 35 होती है. वहीं 35 से नीचे की वैल्यू आने पर मरीज को कोरोना संक्रमित माना जाता है.
कौन सी संक्या होती है ये
अमेरिकन एसोसिएशन फॉर क्लीनिकल केमिस्ट्री (AACC) के अनुसार सीटी का मतलब वायरल आरएनए को पहचान करने के स्तर तक पहुंचने के लिए चरूरत पड़ने वाली चक्र संख्या को कहते हैं. कम सीटी वैल्यू का मतलब यह होता है कि नमूने में ज्यादा वायरल आरएनए संख्या है. इससे कोविड-19 संक्रमण की गभीरता का अंदाजा लगता है.
सीटी वैल्यू की उपयोगिता?
सीटी वैल्यू से ही मरीजों के कोविड संक्रमण में जोखिम के स्तर का भी पता चलता है और इससे कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की प्राथमिकता निर्धारण में भी मदद मिलती है. कई पैथोलॉजी लैब टेस्ट में मानकीकरण ना होने के कारण इस वैल्यू को रिपोर्ट में नहीं दर्शाती हैं. जबकि क्लीनिकल शोधकर्ताओं को सीटी वैल्यू के आधार पर कोविड-19 संक्रमित मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार भी नहीं है.
क्या सीटी वैल्यू की हैं कुछ सीमाएं
सीटी वैल्यू के ही आधार पर मरीज की स्थिति की गंभीरता का आंकलन नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा यह वैल्यू नमूने को हासिल करने के तरीके, स्रोत, परिवहन और संक्रमण एवं नूमूने हासिल करने का समय के साथ विश्लेषण पर निर्भर करता है.
सीटी वैल्यू के अलग-अलग मानों का मतलब
अभी की गाइडलाइन्स के मुताबिक 35 या उससे कम सीटी वैल्यू को ही कोरोना पॉजिटिव माना जा रहा है. 23 से 35 के बीच की वैल्यू बताती है कि स्थिति खतरे से बाहर है. 22 से कम वैल्यू होने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है. अगर वैल्यू 15 कम हो तो मरीज को ऑक्सीजन बेड की, अगर 10 से कम हो तो उसे आईसीयू बेड की जरूरत होगी.
लेकिन सीटी वैल्यू को ही पुख्ता आधार नहीं माना जा सकता है. मरीज की वर्तमान स्थिति यानि पुरानी बीमारी, वर्तमान लक्षण आदि पर भी काफी कुछ निर्भर करता है. यह भी देखा गया है कि कम वैल्यू मरीजों की स्थिति नाजुक नहीं होती जबकि ज्यादा वैल्यू वाले मरीजों की स्थिति भी चिंताजनक होती देखी गई है.
0 टिप्पणियाँ