जानिए फिटकरी के जबरदस्त फायदे , बलगम, बुखार और खांसी में मिलती है राहत ?

 

डॉ रजत सालुंके, आयुर्वेदाचार्य

अष्टविनायक क्लीनिक, भोपाल

डिग्री- बी.ए.एम.एस

अनुभव- 13 वर्ष 

फिटकरी का उपयोग यूं तो साफ- सफाई के लिए किया जाता है। फिटकरी को पानी में डालने से पानी की सारी अशुद्धियां निकल जाती हैं। फिटकरी के उपयोग से कई शारीरिक समस्याओं का उपचार किया जाता है। इस बात का तो हालांकि कोई प्रमाण नहीं है कि फिटकरी के सेवन से या गरारे से कोरोना ठीक हो जाता है या कोरोना नहीं होता है लेकिन खांसी, खराश, बुखार आदि की समस्याओं को फिटकरी जरूर ठीक कर देती है। आइए जानते हैं किन समस्याओं का इलाज फिटकरी के उपयोग से संभव है। 

खांसी और बलगम

यदि आपको सूखी खांसी हो रही है या खांसने पर बहुत अधिक बलगम निकल रहा है तो दोनों ही परिस्थितियों में फिटकरी का उपयोग आपके लिए बहुत लाभकारी है। आप फिटकरी के पानी से गरारे कर सकते हैं और साथ ही फिटकरी पर शहद लगाकर चाटने से भी आपकी समस्या का उपचार हो जाएगा। फिटकरी का चूर्ण बनाकर भी शहद के साथ आप उसका आसानी से सेवन कर सकते हैं। 

यूरीन इंफेक्शन

गर्मियों में यूरीन इंफेक्शन होना सामान्य बात है इसके पीछे पसीना, पानी की कमी कई सारे कारण हो सकते हैं इसलिए अन्य कोई उपाय करने की बजाय यूरीन इंफेक्शन होने पर आप वेजाइना को फिटकरी के पानी से दिन में दो से तीन बार साफ करें। इंफेक्शन के कारण हो रही खुजली, लालपन, जलन आदि से जल्द ही आपको राहत मिल जाएगी इसलिए प्राथमिक उपचार के तौर पर इसे जरूर आजमाकर देखें।

बुखार 

बुखार में भी फिटकरी का उपयोग बहुत लाभकारी होता है। बुखार आने पर आप फिटकरी के पानी से स्नान जरूर करें। बुखार यदि अधिक है तो एक चुटकी फिटकरी का पाउडर लें, उसमें सौंठ को मिलाएं और बताशे के साथ इस मिश्रण का सेवन करें। दिन में दो बार इस उपाय को करने से धीरे- धीरे आपके शरीर का तापमान कम होने लगेगा।

चोट लगने पर

आज के समय में बहुत मुश्किल है कि यदि किसी को छोटी- मोटी चोट लगते ही एकदम किसी को भी लेकर अस्पताल दौड़ा जाए। ऐसे में आप घाव या चोट पर कुछ भी करने की बजाय सबसे पहले उसे फिटकरी के पानी से धो लें। ऐसा करने से घाव से निकलने वाला खून बंद हो जाएगा। फिटकरी के पाउडर को भी घाव पर लगाया जा सकता है लेकिन फिटकरी के पानी से घाव को साफ करना बेहतर उपाय है।

नोट- यह लेख अष्टविनायक क्लीनिक के डॉक्टर रजत सालुंके से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है। डॉक्टर रजत सालुंके पिछले 13 सालों से प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्होंने अपनी डिग्री करमवीर वैंकटराव तानाजी रणधीर आयुर्वेद कॉलेज, महाराष्ट्र से ली है। 

अस्वीकरण-  सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित अस्वीकरण- बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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