90s के पॉपुलर सीरियल महाभारत के शुरू होते ही सुनाई देने वाली 'मैं समय हूं' की आवाज़ किसकी थी जानिये ?

 'मैं समय हूं' ये वो दौर था, जिसमें हम समय को सुन सकते थे, उसे महसूस कर सकते थे, जैसे ही टीवी पर 'महाभारत' शुरू होती थी, ये समय हमें बांध लेता था. भारी-भरकम आवाज़ को लोगों को ख़ूब पसंद किया था. इस आवाज़ को आज सुनने पर न जानें कितनी यादों के झरोके एक दम से आ जाते हैं. 1988 के बाद लॉकडाउन में इस समय को सुनने का दोबारा मौक़ा मिला था. चाहे 90 का दशक हो या फिर आज का दोनों ही दौर इस आवाज़ को सुनते समय कभी दिमाग़ में आया आख़िर ये आवाज़ किसकी थी? कौन है इस रुहदार आवाज़ का मालिक? अगर नहीं सोचा तो कोई बात नहीं है आज हम आपको बताएंगे, आख़िर कौन हैं वो आर्टिस्ट जिन्होंने 'समय' को अपनी आवाज़ दी?

Harish Bhimani

पहली बार 'महाभारत' सीरियल दूरदर्शन पर साल 1988 में प्रसारित हुआ था, जिसे बीआर चोपड़ा ने डारेक्ट किया था. इसमें सभी किरदारों ने अपने दमदार अभिनय से लोगों को उन्हें पूजने उन्हें भगवान मानने पर विवश कर दिया. बस एक ही किरदार ऐसा था, जो कभी किसी के सामने नहीं आया , जिसने सिर्फ़ अपनी आवाज़ से सबके दिलों में जगह बनाई, वो था 'समय' का किरदार. इस किरदार के पीछे जो आवाज़ थी, जो हमें और इस किरदार को जोड़ती है, वो आवाज़ मशहूर वॉइस ओवर आर्टिस्ट हरीश भिमानी (Harish Bhimani) की थी. हरीश भिमानी की ये आवाज़ शायद ही कोई होगा जिसे याद न हो. शायद ही कोी होगा जिस आवाज़ से जुड़ाव न महसूस करता हो.

हरीश भिमानी ने समय को अपनी आवाज़ देने के पीछे का क़िस्सा एक इंटरव्यू में बताया था, उस इंटरव्यू को नवभारतटाइम्स की वेबसाइट के आधार पर आपको बता रहे हैं,

महाभारत के शकुनी मामा यानि गुफ़ी पेंटल सिर्फ़ शकुनी का रोल अदा नहीं कर रहे थे, बल्कि वो शो के कास्टिंग डायरेक्टर भी थे. इसलिए एक दिन उन्होंने हरीश भिमानी ऑफ़िस बुलाया और एक कागज़ पर कुछ लिक कर दिया जिसे उनसे रिकॉर्ड करने को कहा गया. मगर तब वो नहीं जानते थे कि उनकी आवाज़ को क्यों रिकॉर्ड कराया जा रहा है?

आगे बताया,

इसके बाद, उन्हें कई बार स्टूडियो बुलाया गया और उन्होंने रिकॉर्डिंग के दौरान क़रीब 6-7 टेक दिए, लेकिन आवाज़ फ़ाइनल नहीं हुई, तो उनसे आवाज़ में कुछ बदलाव करने को कहा गया. इस पर हरीश भिमानी ने आवाज़ का टैम्पो बढ़ाने को कहा, लेकिन बदलाव करने से इंकार कर दिया क्योंकि बदलवा करने से आवाज़ बचकानी लगती. फिर उन्होंने आवाज़ में थोड़ी गंभीरता लाकर वॉइस ओवर किया और वो पास हो गया. इस तरह हरीश भिमानी समय की आवाज़ बन गए.

 


 हरीश भिमानी न सिर्फ़ एक वॉइस ओवर आर्टिस्ट हैं, बल्कि एक लेखक, डॉक्युमेंट्री और कॉर्पोरेट फ़िल्ममेकर और न्यूज़ ऐंकर भी हैं. इन्होंने सुकन्या, ग्रहण और छोटी-बड़ी बातें जैसे सीरियल लिखे हैं.

आपको बता दें, हरीश भिमानी अब तक 22 हज़ार से ज़्यादा रिकॉर्डिंग कर चुके हैं. इसके अलावा, साल 2016 में आई मराठी डॉक्यू-फ़ीचर फ़िल्म 'माला लाज वाटत नाही' के लिए इन्हें सर्वश्रेष्ठ वॉइस ओवर का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (National Film Award) से सम्मानित किया गया था.

 

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