क्यआपने कभी इस बात पर गौर किया है कि भारत में यात्री हमेशा बसों में बाईं तरफ से ही चढ़ते हैं? चाहे फिर आप शहर के बस स्टॉप पर हो या फिर टर्मिनल पर बसों में हमेशा प्रवेश बाईं तरफ से ही होता है. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का कारण और तर्क.
भारत में बाईं ओर यातायात प्रणाली का पालन किया जाता है. यह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की विरासत है. वाहनों को बाईं ओर रहना चाहिए, जबकि चालक दाईं ओर बैठा हो. यही वजह है कि दरवाजा बाईं तरफ होता है.
चालक के दाईं तरफ बैठने पर, बाईं ओर प्रवेश द्वार होने से चालक को दरवाजे पर साफ नजर मिलती है. इससे चालक बस में चढ़ते-उतरते यात्रियों पर नजर रख सकता है और इस बात को भी सुनिश्चित कर सकता है कि कोई भी बंद दरवाजे में न फंसे.
भारत के बस स्टॉप, प्लेटफॉर्म और फुटपाथ सभी को बाईं तरफ ड्राइविंग मानदंडों के अनुसार ही डिजाइन किया गया है. इससे यह पक्का होता है कि बसें फुटपाथ के पास खड़ी हो सकें और बाईं तरफ के दरवाजे के साथ पूरी तरह से संरेखित हो.
बाईं तरफ का प्रवेश द्वार इस बात को पक्का करता है कि यात्री सीधे फुटपाथ या फिर प्लेटफार्म पर कदम रखें ना कि व्यस्त सड़क पर. इससे दुर्घटनाओं के जोखिम कम हो जाते हैं. अगर दरवाजे दाईं तरफ खुलते तो यात्री सीधे आने वाले ट्रैफिक में कदम रखेंगे
अगर बस के दरवाजे दाईं तरफ खुलते तो यात्री हर बार बस में चढ़ते या फिर उतरते समय सड़क को ब्लॉक कर देते. इससे ट्रैफिक जाम की परेशानी होती खासकर व्यस्त समय के दौरान.
सिर्फ भारत में ही इस प्रणाली को नहीं माना जाता, बल्कि यूके, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में भी इसी यातायात नियम का पालन किया जाता है.

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