खतरे में वृंदावन का प्राचीन ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर, भूगर्भीय जांच में चौंकाने वाला खुलासा

                                   बांकेबिहारी मंदिर

तीर्थनगरी वृंदावन के प्राचीन ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर की भूगर्भीय जांच में चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इसमें दीवारों में दरारें, कमजोर नींव, धंसती जमीन सहित कई बिंदुओं ने मंदिर प्रबंधन को चिंतित कर दिया है। गुरुवार देर शाम प्रबंधक मुनीष शर्मा ने इसकी जानकारी दी। अब इस स्थिति को सुधारने के लिए मंदिर प्रबंधन आईआईटी दिल्ली की सर्वे रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। 

ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में विगत करीब तीन माह पूर्व अचानक मुख्य परिसर का फर्श धंसने से प्रबंधन में हड़कंप मच गया था। फर्श धंसने के बाद मंदिर प्रबंधन ने तत्काल रिसीवर मथुरा मुंसिफ की अनुमति के बाद आईआईटी दिल्ली, केंद्रीय पुरातत्व विभाग व अन्य निजी निर्माण एजेंसियों के सहयोग से संपूर्ण मंदिर परिसर की भूगर्भीय व तकनीकी जांच करवाई। 

निजी संस्था से भी मंदिर का जीपीआर (ग्राउंड पेंट्रेटिंग राडार) तकनीक से परीक्षण कराया। भूगर्भीय जांच के दौरान मिट्टी के नमूने भी लैब में भेजे गए। लंबी तकनीकी जांच प्रक्रिया के बाद निजी एजेंसियों की जो रिपोर्ट सामने आई है, वो बेहद चौंकाने वाली है। 

मंदिर के कई हिस्सों में दरार आई

                                     बांकेबिहारी मंदिर के आंगन का धंसा फर्श (फाइल)

मंदिर प्रबंधक मुनीष शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार मंदिर के कई हिस्सों में दरार आ चुकी है। नींव में पानी का लगातार रिसाव होने से मंदिर का एक हिस्सा गेट नंबर 4 के समीप करीब डेढ़ इंच तक धंस चुका था। खास बात यह है कि करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व वर्ष 1864 में निर्मित मंदिर की इमारत भूकंप रोधी भी नहीं है। तेज भूकंप की स्थिति में मंदिर की इमारत को भारी नुकसान हो सकता था। 

उन्होंने बताया कि अब मंदिर को भविष्य में होने वाले नुकसान से बचाने के लिए विस्तृत रूपरेखा तैयार की जा रही है। कुछ काम शुरू भी हो चुका है। इसमें मुख्य परिसर में करीब 12 से 15 मीटर तक 450 एमएम के 65 कंक्रीट के खंभे डाले जा रहे हैं। इसमें से 45 खंभे डालने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके बाद अलग-अलग तरीके की 7 परतें बनाई जाएंगी। इससे मंदिर को भविष्य के लिए मजबूती दी जा सके।

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